[PDF] Problems Regarding Good Governance in India (With Measures) | Hindi

Read this article in Hindi to learn about the various problems regarding good governance in India along with its reformative measures.

भारत में सदशासन से सम्बन्धित समस्याएँ (Problems Regarding Good Governance in India):

भारत में यद्यपि प्राचीन काल में सद्‌शासन का अस्तित्व रहा है किन्तु वर्तमान में सद्‌शासन एवं उत्तरदायी शासन का विचार सैद्धान्तिक आधार पर तो स्वीकार किया जाता है किन्तु व्यवहार में इसके मार्ग में बहुत सी बाधायें हैं जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नवत् है:

(i) राजनीतिक अस्थायित्व:

भारतीय राजनीति में सन् 1984 के बाद से निरन्तर राजनीतिक अस्थायित्व का दोर देखने को मिला है । अल्पकालीन सरकारों की कल्याणकारी कार्यों में कम स्वार्थ पूर्ण लक्ष्यों की पूर्ति एवं सत्ता लोलुपता में लिप्तता अधिक बनी रही । इन परिस्थतियों में सद्‌शासन की बात काल्पनिक प्रतीत होती है ।

(ii) राजनीतिक दलों में वृद्धि:

भारत में राष्ट्रीय दलों की संख्या सात है । इसके अतिरिक्त राज्यस्तरीय राजनीतिक दल तैंतीस हैं तथा 612 रजिस्टर्ड किन्तु अमान्यता प्राप्त दल हैं । अनेक दलों के अपने कोई सिद्धान्त नहीं हैं । राजनीतिक दलो के अन्तर्गत निष्ठा परिवर्तन भी आम बात है ।

(iii) राजनीति का अपराधीकरण:

भारतीय राजनीति में चुनाव जीतने के लिए अपराधी तत्वों का उम्मीदवार के रूप में खड़े होना अथवा अपराधी तत्वों द्वारा दबाव बनाना एक आम बात हो गई है । सन् 1970 के बाद से ये अपराधी तत्व खुले रूप में राजनीति में प्रवेश लेने लगे हैं ।

राजनीतिज्ञों एवं अपराधिक तत्वों के आपसी सम्बन्धों ने आज एक विकराल रूप धारण कर लिया है । विधायिका में सशस्त्र रूप से अपराधी तत्वों का प्रवेश भी साधारण बात हो गई है जो कि निस्संदेह भारतीय लोकतन्त्र की छवि पर एक कलंक के समान है ।

उपर्युक्त समस्याओं के अतिरिक्त राजनीतिक मूल्यों में गिरावट तथा राजनीतिक-आर्थिक क्षेत्रों की साँठ गाँठ ने भी सुशासन की स्थापना की आशा को धूमिल कर दिया है ।

सुधारात्मक प्रयास (Reformative Measures):

भारत में सुशासन अथवा उत्तरदायी शासन की स्थापना को साकार रूप प्रदान करने के लिए निम्नलिखित सुधारात्मक कदम उठाये जाने चाहिए:

(1) देश में संवैधानिक व प्रशासनिक सुधार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ।

(2) प्रमुख लक्ष्य जनता की सेवा एवं जनता की भलाई होना चाहिए ।

(3) राजनीतिक दल लोकतान्त्रिक भावना पर आधारित होने चाहिए ।

(4) विधायकों एवं मन्त्रियों के नैतिक स्तर में सुधार लाना चाहिए ।

(5) योग्य, सक्षम, जनकल्याण की भावना से प्रेरित एवं चरित्रवान नेताओं का ही चयन किया जाना चाहिए ।

(6) राजनीतिक दलों के व्यय को नियन्त्रित किया जाये ।

(7) राजनीतिज्ञों व अपराधिक तत्वों की सांठगांठ पर नियन्त्रण स्थापित हो ।

(8) जन सहभागिता को प्रोत्साहित करना ।

(9) सद्‌शासन के सिद्धान्तों का प्रचार करना ।

निस्संदेह इन उपचारों को कार्यान्वित करना एक जटिल कार्य है किन्तु असम्भव नहीं है ।

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