[IMP] पिंजरे में बंद पक्षी पर कविता Pinjre me band pakshi poem in hindi

Pinjre me band pakshi poem in hindi

दोस्तो कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज की हमारी ये पिंजरे में बंद पक्षी पर कविता आप सभी को एक पिंजरे में बंद पक्षी की जानकारी देगी.हम सभी जानते हैं कि आजकल लोग घरों में पक्षी पालना पसंद करते हैं वह उन पक्षियों का पालन पोषण करते हैं अगर पक्षी को कोई दुख होता है या कोई खाने को नहीं देता तो वास्तव में इंसान को पाप मिलता है वहीं दूसरी ओर अगर हम किसी पक्षी की सेवा करें और उसकी जरूरत का ख्याल रखते हुए उसे बिल्कुल भी दुख ना दे तो वास्तव में हमें उससे पुण्य की प्राप्ति भी हो सकती है लेकिन पक्षी तो पक्षी ही हैं उनके पास पंख होते हैं इसलिए वह आसमान में स्वतंत्रतापूर्वक विचरण करना चाहते हैं चलिए पढ़ते हैं बंद पक्षी पर लिखी हमारी आज की इस कविता को

पिंजरे में बंद पक्षी अपनी आत्मकथा सुनाता है
पेड़ के नीचे से मुझे चिड़ीमार ले जाता है
बाजार में मुझे बेचकर पैसा वो कमाता है
खरीददार खरीदकर ख़ुशी में झूम जाता है

पिंजरे में बंद रहकर मुझे रास ना आता है
खुले में घूमने को वह बहुत फडफडाता है
पिंजरे में बंद पक्षी अपनी आत्मकथा सुनाता है
पेड़ के नीचे से मुझे चिड़ीमार ले जाता है

देखकर मुझे बच्चे खिलखिलाते बहुत हैं
हर समय वो मुझे हंसाते बहुत हैं
इसी जिंदगी में जीना सीख लूं मैं
बच्चों के साथ ही खुशी में झूम लूं मैं

उस खुली दुनिया की याद मुझको सताती है
करू क्या में अब इनसे कहू क्या में
पिंजरे में बंद पक्षी अपनी आत्मकथा सुनाता है
पेड़ के नीचे से मुझे चिड़ीमार ले जाता है